परिचय भारत में हिन्दू किसी इंदु -सिन्धु से नही आये थे .जेसा की नेट पर बताया जाता है , जब दुष्यन्त और शकुन्तला का प्रेम कुछ बढ़ने लगता है, तभी भरत का भारत बनता है और इसके रहनेवाले तपस्वी हिन्दू कहलाये थे |आप अपनी राये जरुर दें धन्यवाद|
रुचि आर्य समाज यानि एक डूबता जहाज।पता है क्योँ?क्योँकि इसके खेवनहार दयानंद को अपना आदर्श मानने वाले आर्य राजनीति के गर्त में डूब गये हैँ।वेदपथ पर चलने की प्रेरणा देने वाले विद्वानोँ को केवल अपनी दक्षिणा की चिँता है।आर्य समाज भाड मेँ जाये या वेद चूल्हे मेँ बस दक्षिणा अच्छी मिलनी चाहिये।अरे धर्म का चोला पहनकर लूटने वालोँ बंद करो यह दोगलापन।करनी कथनी मेँ भेद है आचरण मेँ छेद है ठेँगे पर ईश्वर इनके कोसोँ दूर वेद है।प्रभु को न्यायकारी कहने वालो कुछ तो डरो उससे वो सब देखता है।तुम्हे कोई अधिकार नही है दूसरोँ को पाखंडी कहने का क्योँकि तुमसे बडा पाखंडी कोई नही है।असत के सागर से तराने वाली आर्य समाज रूपी नौका को डुबाने वाले अन्य कोई नही उसके अपने हैँ।अरे पथ प्रदर्शकोँ तुम्हेँ डूबना है तो डूबो पर इस पवित्र संस्था को तो मत डुबाओ।
पसंदीदा फ़िल्में प्रेम पुजारी[ देवानंद ]
पसंदीदा संगीत मुहम्द रफी, लता, आशा जी और दुसरे
पसंदीदा पुस्तकें गीता, महा भारत, और बहुतसी जो हिंदी में हों |